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Barish -The mighty rains -HINDI poem01-Dr. Swarupa.

Informações:

Synopsis

"बारिश "- गर "वह "बारिश ना होती , तो" तुम "भी ना होते , "हम "भी ना होते . ना वह धरती भिगोती, ना अंबर को चुमती, वह बारिश ना होती ; तो कुछ भी ना होता . पेड पत्ते ना होते , ना नदिया वो बेहती , ना समंदर बेहकता , वह बुंदे ना होती तो कुछ भी ना होता , ना साहिल तरसाता ना मझंधार होती, वह बारिश ना होती ; तो कुछ भी ना होता. ना भीगना; भीगाना , ना चुनर से ढ़कना, ना किताबो और हातो से सर को छूपाना , वह बारिश ना होती ; तो कुछ भी ना होता . ना छाता, ना चष्मा कुछ भी ना भिगता , ना वायपर कि जरुरत , ना रेनकोट खरीदना , वह बारिश ना होती; तो कुछ भी ना होता . वह चाय कि प्याली , वह बाते पुरानी, वह गाने पुराने सुनने के बहाने , वह बारिश ना होती; तो कुछ भी ना होता. वह कश्ती ;वह तिनका , वह मोर का नाचना , वह बारिश ना होती ; तो कुछ भी ना होता. ना सडको का भिगना , ना नालोका जमना, हसते -हसाते हमारा यो सफर करना , ना गिले ना शिकवे का उभरना , ना आसू ना अरमानो का चेहेकना , वह बारिश ना होती ; तो कुछ भी ना होता . ना कुछ याद आता, ना कुछ भूल पाते , बेहकना संभालना , भी मुमकिन ना होता , वह बारिश ना होती; तो कुछ भी ना होता . ना हवाओ का चलना यू