Synopsis
Stories of Premchand narrated by various artists
Episodes
-
Alka | Part - 9 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अलका | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
20/08/2022 Duration: 16minइस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है! एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतार-चढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी। उपन्यास - अलका Novel - Alka लेखक - सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' Writer - Suryakant Tripathi 'Nirala' स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ https://sameergoswami.com
-
Alka | Part - 8 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अलका | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
20/08/2022 Duration: 11minइस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है! एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतार-चढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी। उपन्यास - अलका Novel - Alka लेखक - सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' Writer - Suryakant Tripathi 'Nirala' स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ https://sameergoswami.com
-
Alka | Part - 7 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अलका | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
20/08/2022 Duration: 14minइस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है! एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतार-चढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी। उपन्यास - अलका Novel - Alka लेखक - सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' Writer - Suryakant Tripathi 'Nirala' स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ https://sameergoswami.com
-
Alka | Part - 6 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अलका | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
20/08/2022 Duration: 08minइस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है! एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतार-चढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी। उपन्यास - अलका Novel - Alka लेखक - सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' Writer - Suryakant Tripathi 'Nirala' स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ https://sameergoswami.com
-
Alka | Part - 5 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अलका | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
19/08/2022 Duration: 19minइस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है! एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतार-चढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी। उपन्यास - अलका Novel - Alka लेखक - सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' Writer - Suryakant Tripathi 'Nirala' स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ https://sameergoswami.com
-
Alka | Part - 4 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अलका | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
19/08/2022 Duration: 04minइस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है! एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतार-चढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी। उपन्यास - अलका Novel - Alka लेखक - सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' Writer - Suryakant Tripathi 'Nirala' स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ https://sameergoswami.com
-
Alka | Part - 3 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अलका | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
19/08/2022 Duration: 10minइस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है! एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतार-चढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी। उपन्यास - अलका Novel - Alka लेखक - सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' Writer - Suryakant Tripathi 'Nirala' स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ https://sameergoswami.com
-
Alka | Part - 2 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अलका | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
19/08/2022 Duration: 16minइस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है! एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतार-चढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी। उपन्यास - अलका Novel - Alka लेखक - सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' Writer - Suryakant Tripathi 'Nirala' स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ https://sameergoswami.com
-
Alka | Part - 1 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अलका | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
19/08/2022 Duration: 15minइस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है! एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतार-चढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी। उपन्यास - अलका Novel - Alka लेखक - सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' Writer - Suryakant Tripathi 'Nirala' स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ https://sameergoswami.com
-
Vayam Rakshamah - Part 128 - Upsanhar | वयं रक्षाम: - भाग 128 - उपसंहार | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
18/08/2022 Duration: 15minवयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ h
-
Vayam Rakshamah - Part 127 - Vadh | वयं रक्षाम: - भाग 127 - वध | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
18/08/2022 Duration: 12minवयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ h
-
Vayam Rakshamah - Part 126 - Chitaarohan | वयं रक्षाम: - भाग 126 - चितारोहण | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
17/08/2022 Duration: 06minवयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ h
-
Vayam Rakshamah - Part 125 - Sandhi Bhiksha | वयं रक्षाम: - भाग 125 - सन्धि - भिक्षा | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
17/08/2022 Duration: 06minवयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ h
-
Vayam Rakshamah - Part 124 - Vishalya Sanjeevni | वयं रक्षाम: - भाग 124 - विशल्या संजीवनी | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
17/08/2022 Duration: 05minवयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ h
-
Vayam Rakshamah - Part 123 - Astrapani Rawan | वयं रक्षाम: - भाग 123 - अस्त्रपाणि रावण | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
17/08/2022 Duration: 14minवयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ h
-
Vayam Rakshamah - Part 122 - Susamwad | वयं रक्षाम: - भाग 122 - सुसंवाद | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
17/08/2022 Duration: 08minवयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ h
-
Vayam Rakshamah - Part 120 - Devanugrah | वयं रक्षाम: - भाग 120 - देवानुग्रह | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
16/08/2022 Duration: 10minवयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ h
-
Vayam Rakshamah - Part 119 - Vajrapat | वयं रक्षाम: - भाग 119 - वज्रपात | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
16/08/2022 Duration: 09minवयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ h
-
Vayam Rakshamah - Part 118 - Ratheendra Vadh | वयं रक्षाम: - भाग 118 - रथीन्द्र - वध | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
16/08/2022 Duration: 09minवयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ h
-
Vayam Rakshamah - Part 117 - Janraw | वयं रक्षाम: - भाग 117 - जनरव | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
16/08/2022 Duration: 05minवयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक - अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर - मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है । इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य-अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है।... आचार्य चतुरसेन उपन्यास - वयं रक्षाम: Novel - Vayam Rakshamah लेखक - आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer - Acharya Chatursen Shastri स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami https://kahanisuno.com/ http://instagram.com/sameergoswami_kahanisuno https://www.facebook.com/kahanisuno/ http://twitter.com/goswamisameer/ h